हिन्दी यूनीकोड (मंगल फॉन्ट) टाइपिंग क्यों जरूरी है

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जब कृतिदेव, देवलिस जैसे फॉन्ट से हिन्दी टाइपिंग हो जाती है तो फिर मंगल फॉन्ट की जरूरत क्यों है और क्यों मांगते हैं मंगल फॉन्ट टाइपिंग .....


अगर आप टाइपिंग क्षेत्र से ताल्लुक रखते हैं तो आपको यह तो पता ही होगा कि आजकल मंगल फॉन्ट टाइपिंग का बड़ा बोलवाला है। हर जगह, हर परीक्षा में, स्किल टेस्ट में मंगल फॉन्ट टाइपिंग की ही मांग की जा रही है। जो टाइपराइटर या कंप्यूटर में कृतिदेव, देवलिस जैसे फॉन्ट पर टाइपिंग सीखे हैं या इनपर टाइपिंग करते हैं उनको यह अच्छी तरह से पता है कि KRUTIDEV, DEVLYS जैसे फॉन्ट से टाइपिंग हो जाती है और 50 प्रतिशत से अधिक विभाग, कार्यालय में KRUTIDEV, DEVLYS जैसे फॉन्ट से ही हिन्दी टाइपिंग कराकर, कार्यालयीन कार्य संपादित किए जा रहे हैं। अब सवाल यह आता है कि आखिर ऐसा क्या कारण है कि KRUTIDEV, DEVLYS जैसे फॉन्ट को छोड़कर हम एक नये फॉन्ट 'मंगल फॉन्ट' के पीछे हाथ धोकर क्यों पड़े हैं ?

♦  मंगल फॉन्ट में टा​इपिंग कैसे कर सकते हैं ?

इसका एक ही कारण और वह यह है कि KRTUIDEV 010, DEVLYS 016 जैसे फॉन्ट LEGACY फॉन्ट हैं जो वास्तविक हिन्दी टाइपिंग नहीं कराते नहीं बल्कि अंग्रेजी को ही हिन्दी रूप में दिखाते हैं। और जहां पर यह फॉन्ट नहीं होते हैं वहां पर इन फॉन्ट का मैटर हिन्दी में दिखने के बजाय अंग्रेजी में बड़े ही अजीबो गरीब तरीके से दिखता है। कई बार तो यहां तक समस्या हो जाती है कि टाइप किए गए मैटर में श के स्थान पर ष, श के स्थान पर भ, ष के स्थान पर श हो जाता है जिससे पूरा मैटर हमें पुन: देखकर सही करना होता है जिसमें अनावश्यक रूप से ही हमारा समय नष्ट होता है।

♦  यूनीकोड टाइपिंग के क्या लाभ हैं ?

ऐसी समस्या न हो इसलिए एक ऐसी पद्धति का विकास किया गया है जिससे टाइप किया गया हिन्दी मैटर सभी जगह हिन्दी में ही दिखाई दे, भले ही कंप्यूटर में फॉन्ट हो या न हो। इस पद्धति को हिन्दी यूनीकोड टाइपिंग पद्धति कहा जाता है। इसमें टाइपिंग के लिए यूनीकोड इनपुट एटिडर/मैथड की आवश्यकता होती है। INPUT METHOD को आप इसकी कमी समझें या विशेषता, इसके बिना आप हिन्दी यूनीकोड में टाइपिंग नहीं कर सकते हैं। यह हिन्दी यूनीकोड का ही कमाल है कि आप यह पोस्ट पढ़ पा रहे हैं। अगर यह पोस्ट कृतिदेव, देवलिस जैसे फॉन्ट में टाइप की गई होती तो यह आप तो क्या खुद मैं भी नहीं पढ़ पाता।

हिन्दी यूनीकोड ऐसी तकनीक है तो प्रत्येक भाषा के वर्ण को कंप्यूटर की दुनिया में एक निश्चित पहचान प्रदान करती है। जैसे भारत में आधार कार्ड, ठीक वैसे ही कंप्यूटर में यूनीकोड होता है। 

जिस प्रकार से LEGACY टाइपिंग में KRUTIDEV 010, KRUITDEV 016, DEVLYS 010 प्रसिद्ध फॉन्ट हैं, ठीक उसी प्रकार से यूनीकोड में 'मंगल' नाम का फॉन्ट प्रसिद्ध है। यह जान लीजिए कि आप यूनीकोड टाइपिंग के लिए LEGACY फॉन्ट का इस्तेमाल नहीं कर सकते। इसके लिए अलग से यूनीकोड फॉन्ट विकसित किए गए हैं, जिनमें मंगल फॉन्ट सबसे अधिक लोकप्रिय है, इसी कारण से यूनीकोड टाइपिंग को मंगल फॉन्ट टाइपिंग कहा जाता है।

♦  LEGACY FONTS के बारे में संपूर्ण जानकारी

चूंकि KRUTIDEV, DEVLYS जैसे फॉन्ट बहुतायत में प्रयोग हो रहे हैं इसलिए भारत सरकार द्वारा पत्र दिनांक 17 Feb, 2012 के द्वारा सभी विभागों के लिए निर्देश जारी किए गए कि हिन्दी टाइपिंग के लिए KRUTIDEV, DEVLYS फॉन्ट के स्थान पर  MANGAL FONT की यूनीकोड प्रणाली का उपयोग किया जाए, ताकि टाइप किए गए मैटर को देखने, एक्सेस करने, कॉपी—पेस्ट करने या अन्य डाटाबेस प्रबंधन में सुविधा हो सके। नये युवा भी इस तकनीक से अंजान न रहें बल्कि इसी के माध्यम से विभिन्न विभागों में नियुक्त हों इसलिए वर्ष 2012 के बाद से सभी विभागों में हिन्दी टाइपिंग, हिन्दी आशुलिपि जैसे स्किल टेस्ट केवल यूनीकोड फॉन्ट पर ही लिए जाने के निर्देश दिए गए। निर्देशों के पालन में राज्य सरकारों द्वारा समय—समय पर परिपत्र जारी कर, कृतिदेव, देवलिस जैसे फॉन्ट को प्रतिबंधित करने एवं यूनीकोड का ही प्रयोग किए जाने की प्रक्रिया अपनाई गई है।

♦  हिन्दी यूनीकोड के संबंध में जारी सभी परिपत्र डाउनलोड करें

अगर आपने यह सकुर्लर देख लिए हैं तो आपको समझ आ गया होगा कि क्यों कृतिदेव, देवलिस जैसे लोकप्रिय फॉन्ट को छोड़कर सभी जगह मंगल का ढिंढोरा पीटा जा रहा है। यह सर्कुलर ही वह कारण है कि आज अधिकांश विभाग में आपको स्किल टेस्ट के लिए मंगल फॉन्ट पर ही टाइपिंग करने का विकल्प मिलेगा। परंतु कृतिदेव, देवलिस फॉन्ट की टाइपिंग जानने वालों की सुविधा को भी ध्यान में रखा गया है और उनके लिए यूनीकोड में इंस्क्रिप्ट के अलावा रेमिंग्टन गैल, रेमिंग्टन सीबीआई जैसे कीबोर्ड का विकल्प दिया गया है। 

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